आपने 20 वर्ष महेनत करके बनाई हुई, अर्जित की हुई संपत्ति अगर नष्ट हो जाए, चोरी हो जाए, तो दुःख का पहाड़ टूट पड़ता है ।
दुःख का महासागर टूट पडता है, चारों तरफ से चिंता ही चिंता! ‘कैसे भी करके, मेरी वर्षों की महेनत बर्बाद न हो’ इसलिए हर क्षण प्रयत्न रहता है ।
तो फिर जन्मोजन्म, हजारों, लाखों, करोडों वर्ष की हुई महेनत, पुण्य-पुरुषार्थ ऐसे ही व्यर्थ हो रहे हैं, नष्ट हो रहे हैं फिर भी हमें जरा भी आंतरग्लानि नहीं होती है ।
अरे, प्यारे यह जागने का समय है, अगर आपको चम्मच जितना सुख चाहिए, तो यहाँ तो समुद्र जितना मिलेगा । जरा देखिए तो सही …
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Additional Details
ISBN: 9789389858952
Month & Year: June 2020
Publisher: R. R. Sheth & Co. Pvt. Ltd.
Language: Hindi
Page: 112
Weight: 0.19 kg
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ISBN: 9789389858952
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